मत जाओ मेरे पास ही बैठी रहो
की तुम बिन सब कुछ सूना सूना सा लगता है
चुप रहना है तो चुप ही रहो
तुम्हारी मर्ज़ी है अगर तो कुछ ना कहो
खो जाने दो कुछ देर के लिये इन आँखों में
कितना भी देखूं इस हसीं चेहरे को
जी भरता ही नहीं
एक अजीब सी कशिश है जो खिंचती है मुझे
तुम्हारी ओर
तुम्हे देखकर ये धड़कनें
जाने क्यूँ तेज़ हो जाती हैं
तुम चली जाती हो तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता
की तुम बिन सब कुछ सूना सूना सा लगता है
Nice Post man,Are you from Gorakhpur
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