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Tuesday, February 15, 2011

ग़ज़ल 3

इश्क में चुप रहकर भी नज़रों से बात होती है
अब तो ख़्वाबों में तुमसे रोज़ मुलाक़ात होती है

किसी दिन तुम भी देखोगे ये नज़ारा हसीन
मुहब्बत भरे दिलों की बात कुछ ख़ास होती है

फिर न याद आयेंगे ये गिले शिकवे कभी तुमको
जब जान जाओगे की प्यार में क्या बात होती है

कभी तो होगा अहसास तुम्हे मेरी चाहतों का
ग़म-ए-मुहब्बत में बिन सावन बरसात होती है

एक दिन हर तरफ बिखर जाएगा खुशियों का सवेरा शैल
प्यार भरे संसार में भला कब रात होती है

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