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Tuesday, August 9, 2011

ग़ज़ल 12

अभी तो तेरे गुनाहों का हिसाब होगा
कुछ अनकहे सवालों का जवाब होगा

पहचानना गौर से अपने दुश्मनों को
मिलेंगे वो तो चेहरों पे नकाब होगा

मिल जायेगा हमदर्द किसी को जहां में
ये तेरे मन का भ्रम या कोई ख्वाब होगा

रुकना नहीं मुश्किलों से डरकर कभी
बढ़ता रहा जो वही कामयाब होगा

खुश तो होते हैं कुछ पाने पे सभी
खोने पे जो मुस्कुराया वो नवाब होगा

कभी मत देना किसी को मशवरा शैल
वक़्त के साथ अपना ही दामन खराब होगा

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