Pages

Monday, January 24, 2011

ग़ज़ल 2

उसकी एक झलक के लिए दुनिया से बेगाने हो गए हैं हम
ऐसा लगता है कि इश्क में दीवाने हो गए हैं हम

तेरा जिक्र आने पे जाने क्यूँ लोग मेरा नाम लेते हैं
हर शक्स के चर्चों के फ़साने हो गए हैं हम

भरी महफ़िल में मुझे पहचानने से इनकार करता है
जिसकी तन्हाइयों में गुनगुनाने के तराने हो गए हैं हम

मुझे पता है की मिलती नही अपनी राह-ए-ज़िन्दगी कहीं
पर वो न मिलेगा इस बात से अनजाने हो गए हम

अब तो आजा कि ये दम निकलने को है शैल
तेरे इंतज़ार में दिन महीने ज़माने हो गए हैं हम

No comments:

Post a Comment