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Thursday, April 14, 2011

ग़ज़ल 6

शाम को सुबह का इंतज़ार कब तक होगा
इंसान से इंसान परेशान कब तक होगा

नफरतों से घिरा है प्यार से बेज़ार आदमी
हमारे दिलों में ये रेगिस्तान कब तक होगा

वो मुझसे दूर जाकर लौट आयेगा एक दिन
उसके जाने से ये दिल हैरान कब तक होगा

ना मिलेगा वो मंदिर में ना ही मस्जिद में
हर शक्स अपने वजूद से अनजान कब तक होगा

वक़्त आने पे उग जायेगी फसल-ए-मुहब्बत शैल
यहाँ हिंदुस्तान वहाँ पाकिस्तान कब तक होगा

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