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Thursday, July 7, 2011

ग़ज़ल 10

तुम्ही बता दो कि ये जिंदगानी क्या है
तेरी ख़ामोशी मेरा इंतज़ार ये कहानी क्या है

लिख ना पाता था जो एक लफ्ज़ चाहकर कभी
आज उसकी कलम में ये रवानी क्या है

रोज़ वादा करके मुकर जाने वाले बता
आज ना आने के लिए बात बनानी क्या है

कभी लड़ते हो तो कभी खामोश रहते हो
यूँ ही गुज़र जाए तो फिर जवानी क्या है

जाने क्यूँ याद आते हो हर पल मुझे शैल
आखिर मुझसे तुम्हे ये परेशानी क्या है

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