तू जो मुस्कुराया तो इक फ़साना बना
ग़म छुपाने का इक बहाना बना
तुझे देखकर संभल न पाया कभी
तेरा हुस्न इस क़दर कातिलाना बना
आये गए हज़ार इस ज़िन्दगी में
पर दिल का कहीं और न ठिकाना बना
तेरी हर एक अदा पे प्यार आता है
क्या कहूँ क्यूँ मैं दीवाना बना
मिट न सका है किस्सा-ए-मुहब्बत शैल
चाहे दुश्मन इश्क का ज़माना बना
ग़म छुपाने का इक बहाना बना
तुझे देखकर संभल न पाया कभी
तेरा हुस्न इस क़दर कातिलाना बना
आये गए हज़ार इस ज़िन्दगी में
पर दिल का कहीं और न ठिकाना बना
तेरी हर एक अदा पे प्यार आता है
क्या कहूँ क्यूँ मैं दीवाना बना
मिट न सका है किस्सा-ए-मुहब्बत शैल
चाहे दुश्मन इश्क का ज़माना बना
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